पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने क्षेत्र के चौखड़िया गांव प्रधना मनीष पाठक को गाड़ी से कुचल कर जानलेवा हमले में दोषसिद्ध की सजा निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दे दी। लोगो ने उनके आवास पर पहुंच कर बधाई दी है।
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| शुभचिंतकों के साथ प्रधान |
ट्रायल कोर्ट ने उन्हें वर्ष 2016 में दो युवकों को वाहन से कुचलने की कोशिश के मामले में धारा 307/34 व 506 आईपीसी में सात वर्ष की सजा सुनाई थी।न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहा कि अपील के शीघ्र निस्तारण की संभावना नहीं है और अभियुक्त लगभग दो वर्ष की कैद काट चुका है। ऐसे में संपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए जमानत उचित है।
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| जमानत के खुशी का इजहार |
घटना 18 अक्तूबर 2016 की है। आरोप है कि मनीष पाठक ने अपने टाटा सफारी वाहन से गांव के मान सिंह और शुभम सिंह को जान से मारने की नीयत से टक्कर मारी। शुभम को गंभीर सिर व पैर की चोटें आईं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखना पड़ा।
बचाव पक्ष ने इसे साधारण सड़क दुर्घटना बताया। दलील दी गई कि वाहन में बैठे सह–अभियुक्तों द्वारा कोई हमला न होना हत्या की नीयत के आरोप को कमजोर करता है।
जमानत का विरोध करते हुए कहा कि दोनों पक्षों में पुरानी रंजिश है और हमला सुनियोजित था। मेडिकल साक्ष्यों अनुसार घायल की हालत बेहद गंभीर थी।
अदालत ने कहा कि बिना मेरिट पर राय दिए, अभियुक्त को व्यक्तिगत बंधपत्र व दो जमानतदारों पर रिहा किया जाए। उसे अपील की सुनवाई में सहयोग करना होगा।



