पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नवाबगंज (गोंडा): मंगलवार को नवाबगंज की सड़कों पर एक ऐसा 'महायज्ञ' हुआ, जिसमें आहुति सिर्फ गरीबों की रोजी-रोटी की दी गई। नगर पालिका और पुलिस के भारी-भरकम लाव-लश्कर ने झिलिया चौराहे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन इस पूरी कार्रवाई में 'न्याय' की जगह 'नेम-प्लेट' का असर ज्यादा दिखा।
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| बुल्डोजर कार्यवाही |
भारी-भरकम टीम, हल्का परिणाम
इस अभियान की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौके पर नगर पालिका अधिशाषी अधिकारी सर्वेश शुक्ला, थाना अध्यक्ष अभय सिंह, और नगर चौकी इंचार्ज पंकज यादव मय फोर्स मौजूद थे तथा उनके साथ नगर पालिका के सुरेश कुमार (बाबू), राजेश कुमार, जितेन्द्र श्रीवास्तव और राजेंद्र तिवारी सहित दर्जनों कर्मचारी मौजूद रहे।
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| बुल्डोजर एक्शन |
नगरपालिका के इतने बड़े लाव-लश्कर को देखकर लगा था कि आज झिलिया चौराहे से लेकर पूरे नगर की सूरत बदल जाएगी और सड़क अपनी असली चौड़ाई वापस पा लेगी। लेकिन अफ़सोस, इतने अधिकारियों की 'पैनी नजर' भी उन आलीशान पक्के निर्माणों को नहीं देख पाई जो सीना ताने सड़क पर खड़े थे।
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| बुल्डोजर का झटका |
साहबों की नजर और 'सफेद' दीवारें
अचंभे की बात यह रही कि सर्वेश शुक्ला जी और उनकी टीम का बुलडोजर उन दुकानों के सामने तो खूब गरजा जिनके पास 'पैरवी' की कमी थी। लेकिन जैसे ही दस्ते का सामना रसूखदारों के स्थाई और पक्के अतिक्रमण से हुआ, वहां साहबों की नजरें शायद 'धुंधली' हो गईं।
सुरेश कुमार और राजेंद्र तिवारी जैसे बाबू फाइलों के पन्ने पलटते रह गए, लेकिन उन फाइलों में रसूखदारों के पक्के अतिक्रमण को ढहाने वाला पन्ना शायद गायब था।नगरपालिका टीम के अधिकारी और कर्मचारी मूकदर्शक साबित हुए।
आम जनता मे यहा चर्चा रहा कि यदि इतने बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में भी सिर्फ गरीबों के टीन-टप्पर ही हटने थे, तो इतने 'भारी बल' की क्या जरूरत थी? क्या यह पूरी कवायद सिर्फ अखबारों में फोटो छपवाने और रसूखदारों को यह बताने के लिए थी कि "देखिए, हमने अभियान भी चलाया और आपकी दीवार भी बचा ली"?
नवाबगंज की जनता का सवाल: "साहब, क्या अतिक्रमण की परिभाषा सिर्फ 'कच्चे' निर्माण तक ही सीमित है, या फिर 'पक्के' निर्माण वालों का पालिका टैक्स कुछ ज्यादा ही वफादार है?"




