पंश्याम त्रिपाठी/पप्पू सागर
नवाबगंज गोंडा।श्री अवध रामलीला समिति कटरा शिवदयालगंज के संयोजन में आयोजित हो रही 12 दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव के तीसरे दिन तड़का, मारीच, सुबाहु बध , धनुष यज्ञ, परशुराम लक्ष्मण संवाद की लीला का शाश्वत मंचन किया गया ! मंचन का शुभारंभ गुरु विश्वामित्र और राम लक्ष्मण की दिव्य झांकी सजाकर आरती पूजन से हुई ! तत्पश्चात राजा जनक अपनी पुत्री की स्वयंवर का समय निर्धारित करते हैं ! जिसका निमंत्रण सभी राजाओं को पहुंचा पहुंचाया जाता है ! जिसमें गुरु विश्वामित्र को उनके शिष्य राम और लक्ष्मण के साथ विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है ! गुरु विश्वामित्र अपने शिष्य राम और लक्ष्मण के साथ जब जनकपुर की ओर प्रस्थान करते हैं ! तो जंगल में एक शिला दिखाई पड़ती है !
जिसके बारे में राम गुरुजी से पूछते हैं ! और गुरु के आदेश अनुसार अपने चरण रज को उस शिला पर लगाते हैं ! जिससे अहिल्या उद्धार होता है ! इधर जनकपुर में स्वयंवर का आयोजन होता है ! जिसमें देश देश के राजागण एकत्रित होते हैं ! रावण और बाणासुर भी धनुष उठाने के लिए आते हैं ! दोनों में संवाद होता है ! जब कोई भी राजा धनुष को हिला भी नहीं पाए तो जनक जी व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि मुझे तो आभास हुआ कि पृथ्वी वीरों से खाली है ! जो वहां उपस्थित क्षत्रिय कुमार लक्ष्मण जी को रास नहीं आया और वह भरी सभा में समस्त राजाओं के साथ जनक जी को भी ललकारते हुए धनुष को सैकड़ो कोष तक ले दौड़ने की बात कहते हैं ! लक्ष्मण जी के गुस्से को शांत करते हुए गुरु विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं ! और राम जी शिव धनुष की प्रत्यंचा को चढ़ाकर उसका खंडन करते हैं ! इस प्रकार जनक दुलारी सीता जी राम के गले में वरमाला डालती हैं ! धनुष की टूटने की आवाज सुनकर परशुराम जी जनकपुर पहुंचते हैं ! परशुराम जी के क्रोध को देख सारे राजा भयभीत हो जाते हैं ! इधर-उधर भागने लगते हैं ! जिससे अफरातफरी मच जाती है ! भगवान परशुराम जी के पूछने पर जनक ने धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर के बारे में जब बताते हैं तो परशुराम जी अति क्रोधित हो जाते हैं ! और धनुष तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं ! इस प्रकार परशुराम जी में और लक्ष्मण जी में खूब तीखी नोक झोक होती है ! जब परशुराम जी को राम के अवतार का पता चलता है ! तो वह नतमस्तक होकर क्षमा प्रार्थना कर तप हेतु को चले जाते हैं ! वीररस में परशुराम लक्ष्मण के ओजपूर्ण संवाद को सुनकर दर्शक खूब तालियां बजाते हैं ! और भूरि भूरि प्रशंसा भी करते हैं ! मुख्य रूप से अभिनय करने वालों में राम शुभम गुप्ता, लक्ष्मण अभय गुप्ता, परशुराम रजनीश कमलापुरी, जनक त्रेता नाथ गुप्ता, रावण अनूप कुमार गुप्ता, बाणासुर महेंद्र कसौधन, बंदीजन राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, विश्वामित्र बसंत लाल गुप्ता, राजाओं में रंजीत कसौधन, गणेश चंद्र, गौरी शंकर आदि के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा ! लीला का निर्देशन कपिल नाथ गुप्ता वविनोद कुमार गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया ।


