मिथलेश जायसवाल
बहराइच : पी एम श्री राजकीय बालिका इंटर कालेज बहराइच के सभागार में आयोजित चार दिवसीय इमोशनल वेल‑बीइंग कार्यशाला का आज सफल समापन हुआ। कार्यशाला के अंतिम सत्र में शिक्षकों ने आपस में रोचक तरीक़े से एक‑दूसरे को प्रमाणपत्र प्रदान किए और साझा किया कि वे स्वयं भी इस प्रक्रिया से गहराई से प्रभावित हुए हैं तथा अपने साथियों से बहुत कुछ सीख पाए हैं।
कई शिक्षकों ने इसे अपने जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यशालाओं में से एक बताते हुए कहा कि स्वपूर्ण पाठ्यक्रम से मिली सीख को वे अपने व्यक्तिगत जीवन में भी अपनाएँगे और अपने विद्यार्थियों तक भी पहुँचाएँगे। उत्साहित शिक्षक अब जल्द से जल्द अपने विद्यालयों में ‘स्वपूर्ण’ कालांश के माध्यम से विद्यार्थियों के बीच यह पाठ्यक्रम ले जाने के लिए उत्सुक हैं।
स्वपूर्ण कालांश के अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह दो राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की कक्षा 9 में सामाजिक‑भावनात्मक सीख, 21वीं सदी के कौशल तथा करियर जागरूकता पर केंद्रित सत्र आयोजित किए जाएँगे। समग्र शिक्षा (माध्यमिक), उत्तर प्रदेश एवं मेधा लर्निंग फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित Emotional Well‑being for Government Schools कार्यक्रम के तहत माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए ‘स्वपूर्ण पाठ्यक्रम’ विकसित किया गया है, जिसमें सामाजिक‑भावनात्मक शिक्षा, 21वीं सदी के कौशल और करियर जागरूकता जैसे तीन प्रमुख यूनिट शामिल हैं। यह दिशा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लिखित समग्र विकास, जीवन‑कौशल और मानसिक स्वास्थ्य के उद्देश्यों के अनुरूप हैं।
इमोशनल वेल‑बीइंग कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए समग्र शिक्षा माध्यमिक, लखनऊ के पीएएमओयू सदस्य तथा मेधा लर्निंग फाउंडेशन से जुड़े श्री ललित जोशी ने कहा कि एनईपी 2020 के अनुसार युवाओं को केवल परीक्षा‑केन्द्रित न रहकर, समस्याओं को समझकर समाधान खोजने और अपने जीवन को अर्थपूर्ण लक्ष्य देने की आवश्यकता है। स्वपूर्ण पाठ्यक्रम की अनुभवात्मक गतिविधियाँ विद्यार्थियों को स्वयं की भावनाओं को पहचानने, उन्हें स्वस्थ तरीक़े से अभिव्यक्त करने और अपने भविष्य को सार्थक रूप से आकार देने में मदद करती हैं।
ज़िला विद्यालय निरीक्षक सर्वदा नंद ने अपने वक्तव्य में कहा कि सामाजिक‑भावनात्मक शिक्षा से विद्यालयों का वातावरण अधिक संवेदनशील और सहयोगी बनता है, जिससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन की चुनौतियों का सामना अधिक तैयारी के साथ कर पाते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनपद के विद्यालयों में स्वपूर्ण पाठ्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन से विद्यार्थियों के जीवन और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देगा।
बहराइच जनपद के 51 शिक्षकों ने इस चार दिवसीय ग़ैर‑आवासीय प्रशिक्षण में भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों ने स्वपूर्ण पाठ्यक्रम की विभिन्न गतिविधियों का अभ्यास किया और यह जाना कि छात्र‑छात्राएँ किस तरह इन गतिविधियों के माध्यम से सीखते और महसूस करते हैं। रोल‑प्ले, समूह‑चर्चा, गोल घेरे में शिक्षण, वीडियो और प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से कक्षा में सामाजिक‑भावनात्मक वातावरण बनाने, समूह में गतिविधियाँ संचालित करने तथा विद्यार्थी डायरी के माध्यम से बच्चों की अभिव्यक्तियों को स्थान देने के व्यावहारिक तरीक़े सीखे गए, ताकि विद्यार्थी एक संवेदनशील और ज़िम्मेदार नागरिक बनते हुए अपने करियर का निर्माण कर सकें।
प्रधानाचार्य श्रीमती मधु यादव ( पी०ई०एस०) ने कहा कि शिक्षकों ने कार्यशाला में अनुभवात्मक तरीक़े से सीखा है और वे अब कक्षा‑कक्ष में भी इन्हीं तरीक़ों का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों के साथ अधिक अर्थपूर्ण संबंध बना सकेंगे।
कार्यशाला का संचालन श्री ललित जोशी, श्रीमती रीता वर्मा, डॉ. डिंपल कुमारी एवं श्री प्रदीप कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम का मार्गदर्शन ज़िला विद्यालय निरीक्षक श्री सर्वदा नंद के निर्देशन में हुआ, जबकि समस्त व्यवस्थाएँ ज़िला समन्वयक श्री चंद्रेश कुमार पांडेय द्वारा सुनिश्चित की गईं। इस अवसर पर समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।




