पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
गोंडा। नवाबगंज के नंदिनी निकेतनम में सात दिवसीय राष्ट्रकथा महोत्सव एक जनवरी से शुरू होगा। पीठाधीश्वर सद्गुरु रीतेश्वर जी महाराज के सानिध्य में आयोजित राष्ट्रकथा महोत्सव सनातन ज्ञान, विज्ञान एवं छात्र उत्थान जैसे विषयों के माध्यम से विद्यार्थियों व युवाओं में सांस्कृतिक चेतना, राष्ट्रभाव व कर्तव्यबोध को सुदृढ़ करेगा। राष्ट्रकथा में सर्वधर्म व सर्वसमाज के संत व अतिथियों को आमंत्रित किया गया है। प्रत्येक दिवस 55 हजार युवा राष्ट्रकथा का रसपान करने के साथ ही सनातन धर्म की शिक्षा लेंगे।इसके लिए सभी तैयारिया पुरी हो गयी तथा पीठाधीश्वर रीतेश महराज का लखनऊ से जनपद की सीमा पर कैसरगंज भाजपा सांसद करनभूषण सिंह ने हजारो समर्थको साथ फूलमालाओ से जोरदार स्वागत किया।
स्वागत के लिए सज रहे 21 द्वार :
अतिथियों के स्वागत के लिए 21 द्वार सजाए जा रहे हैं। इनमें माता नंदिनी, भगवान परशुराम व विश्वकर्मा के भी द्वार शामिल हैं। इसके अलावा महाराजा दिलीप से लेकर भगवान श्रीराम तक 18 वंशालियों के द्वार सजाए जा रहे हैं। प्रत्येक द्वार में संबंधित के बारे में संक्षिप्त इतिहास व चित्र भी है, जिससे लोगों को जानकारी हो सके। रघुकुल की 18 वंशालियों में महाराजा दिलीप, भगीरथ, ककुत्स्थ, रघु, प्रवृद्ध,शंखण, सुदर्शन, अग्निवर्ण, शीघ्रग, मरु, प्रशुश्रुक, अम्बरीश, नहुष, ययाति, नाभाग, अज, दशरथ व भगवान श्रीराम।
माता नंदिनी की रक्षा के लिए वलिदान को तैयार हो गए थे महाराजा दिलीप महाराजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा को कोई संतान नहीं थी, इसलिए वे दुखी थे। गुरु वशिष्ठ ने दिलीप को बताया कि उन्होंने एक बार कामधेनु गाय का अनादर किया था, जिसका प्रायश्चित करने और पुत्र प्राप्ति के
लिए उन्हें नंदिनी (कामधेनु की पुत्री) की सेवा करनी होगी। महाराजा दिलीप और सुदक्षिणा ने नंदिनी की सेवा का व्रत लिया, वे स्वयं उसे चराने ले जाते, उसका दूध दुहते और रात में उसके सो जाने के बाद ही सोते। एक दिन जब नंदिनी घास चर रही थी, एक सिंह ने उस पर हमला कर दिया। दिलीप ने अपनी जान की परवाह किए बिना सिंह से नंदिनी की रक्षा की और उसे बचाने के लिए अपना बलिदान देने को तैयार हो गए, जबकिउनके हाथ-पैर जम गए थे क्योंकि यह नंदिनी की परीक्षा थी। दिलीप की अटूट भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा से प्रसन्न होकर नंदिनी ने उन्हें वरदान दिया। इसके फलस्वरूप रानी सुदक्षिणा ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम रघु रखा गया। रघु इतने पराक्रमी थे कि उन्हीं के नाम पर यह वंश 'रघुवंश' कहलाया और इसी वंश में भगवान राम का अवतार हुआ।
56 स्थानों पर लगेगी एलसीडी : नंदिनी निकेतनम में दो लाख वर्ग फीट में पंडाल सजाया जा रहा है। पंडाल में करीब 55 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। जो लोग पंडाल में नहीं आ सकेंगे, उनके लिए 56 स्थानों पर एलसीडी लगवाई जा रही है, जिससे वह परिसर क बाहर से ही कथा का रसपान कर सकेंगे। कथा दोपहर 12 बजे से सायं चार बजे तक होगी।
आठ जिलों में लगाई गई वसें:
महोत्सव में छात्रों को लाने के लिए गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर, अयोध्या, बाराबंकी व बस्ती जिले में बस लगाई गई है। पार्किंग के लिए अलग व्यवस्था करने के साथ ही रूट डायवर्जन के लिए भी किया गया है।
बुधवार को पीठाधीश्वर रीतेश महराज जब लखनऊ से चलकर जनपद की सीमा पर पहुचे तो कैसरगंज भाजपा सांसद करनभूषण सिंह ने हजारो समर्थको साथ पीठाधीश्वर महराज का जोरदार स्वागत किया इस दौरान जगह जगह लोगो न फूलो की वर्षा की तथा स्वागत से पीठाधीश्वर महराज आनंदित दिखे स्वागत दौरान विधायक सदर प्रतीक भूषण सिंह, पल्टूराम बलरामपुर सदर,नवाबगंज ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि सुदीप भूषण सिंह, पूर्व प्रमुख मनकापुर आजाद विक्रम सिंह, नगरपालिका अध्यक्ष डा सत्येंद्र सिंह, विपुल सिंह, प्रधान दुर्गागंज राधेश्याम उर्फ रग्घू यादव, विपिन सिंह, सुभाष यादव, राकेश यादव, रिशू श्रीवास्तव, रघुनंदन यादव, पिंटू यादव, लालजी यादव, पवन यादव सहित हजारो लोग मौजूद रहे।

