पं श्याम त्रिपाठी/बनारसी मौर्या
नवाबगंज गोंडा।कटरा से शिवदयालगंज बाजार में आयोजित हो रही 12 दिवसीय श्री रामलीला महोत्सव के चौथे दिन राम वन गमन चित्रकूट भरत मिलाप की लीला का शाश्वत मंचन किया गया। मंचन का शुभारंभ राम लक्ष्मण और जानकी के दिव्य झांकी सजाकर आरती पूजा के साथ हुआ। राजा दशरथ अपने मंत्रियों के साथ मंत्रणा करके गुरु वशिष्ट के उपस्थिति में ज्येष्ठ पुत्र रामचंद्र जी को अयोध्या का राजा बनाने की बात कहते हैं।
जिसकी तैयारी शुरू करते ही यह समाचार जब देवताओ को पता चलता है तो माँ सरस्वती का आवाहन करते हैं। और निवेदन करते हैं कि किसी प्रकार से ऐसा माया रची जाए जिससे राम का राज्याभिषेक के स्थान पर वनवास हो जाए।
मां सरस्वती मंथरा के बुद्ध को बदल देती है और मंथरा कैकई के पास जाकर उन्हें खूब समझती हैं , इस प्रकार मंथरा के समझाएं अनुसार कैकयी कोप भवन में जाती है। जहां पर राजा दशरथ पहुंचते हैं, और महारानी को खूब मानते हैं। लेकिन महारानी ने एक भी न सुनी, और अपने दो वरदान मांग लिए,जिसमें पहले वरदान में भरत को राजतिलक और दूसरे वरदान में राम को 14 वर्ष का वनवास मांग लिया।
राम अपने माता-पिता के आज्ञा अनुसार वन को चल देते हैं l रास्ते में राम और केवट का बहुत ही मार्मिक संवाद होता है। जिसे सुन दर्शक भाव विभोर हो जाते हैं। आगे अयोध्या में महाराज दशरथ अपने प्राण को त्याग देते हैं। गुरु वशिष्ट के निर्देशानुसार मंत्रीगण भरत और शत्रुघ्न को कैकेय प्रदेस से वापस बुलवाते हैं। अयोध्या में पहुंचकर भरत और शत्रुघ्न को जब यह समाचार मिलता है कि भैया राम बन को चले गए हैं और पिताजी प्राण त्याग दिए हैं। तो अपनी माता कैकेई को खूब खरी खोटी सुनाते हैं। शत्रुघ्न जी मंथरा के कुबर पर अपने पैरों से प्रहार कर देते हैं। इसके बाद भरत लाल जी अपने तीनों माता गुरु और अयोध्या वासियों को लेकर भैया राम को वापस लाने के लिए चल देते हैं। जहां चलते-चलते चित्रकूट में राम और भरत का मिलन होता है। वहां पर धर्म संगत संवाद होती है। राम भरत के मार्मिक संवाद को सुनकर सारे स्रोतों के आंखों में आंसू बहने लगते हैं, इस प्रकार गुरु वशिष्ठ और राजा जनक के निर्देश पर भगवान श्री राम अपने खड़ाऊ को भरत को दे देते हैं, और उस खड़ाऊ को रखकर भरत अयोध्या का शासन संभालते हैं। मुख्य किरदार निभाने वालों में राम शुभम गुप्ता, लक्ष्मण अभय गुप्ता, भरत सर्वेश गुप्ता , शत्रुघ्न अंशु गुप्ता, गुरु वशिष्ठ ओमप्रकाश गुप्ता, महाराज दशरथ त्रेता नाथ गुप्ता, मंत्री बसंत लाल गुप्ता , केवट परमानंद गुप्ता, इंद्रपाल , गौरी शंकर, रजनीश कमलापुरी, गणेश चंद्र गुप्ता, पुरुषोत्तम गुप्ता आदि सभी स्थानीय कलाकारों के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा । कार्यक्रम का निर्देशन विनोद कुमार गुप्ता ने किया ।




