कमलेश
खमरिया खीरी:भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैया दूज गुरुवार को खमरिया व ईसानगर क्षेत्र में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। एक दिन पूर्व गोवर्धन पूजा के अवसर पर लोगो ने पूजा अर्चना कर चली आ रही परम्पराओं को निभाया उसके बाद गुरुवार को भाईयों की लंबी उम्र के लिये बहनों ने व्रत रखते हुए तिलक करने के लिये दूर दराज से भाइयों के घर पहुंच कर भाइयों को तिलक लगाकर उन्हे मिठाई चूड़ा खिलाया।
ईसानगर क्षेत्र में गुरुवार को भैया दूज के त्यौहार पर कस्बा खमरिया,ईसानगर,कटौली,सिसैया समेत लाखुन,रेहुआ की बाजारों में चूड़ा व चीनी के बने खिलौनों की बिक्री जोरशोर से हुई। भैया दूज़ के त्योहार पर क्षेत्र के अलग अलग गांवों व कस्बों में चहल पहल बनी रही। दिन भर बहनें अपने भाइयों को चंदन टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती रही,वहीं भाइयों ने भी अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए उनके सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना की।
भैया दूज पूजा के दौरान सुनाई गई,पौराणिक कथा
गांवों में भैया दूज की पूजा बहनों द्वारा एक निश्चित जगह पर एकत्रित होकर करने का प्रावधान है,उसके बाद ही भइयों को टीका लगाने का कार्य होता है। इससे पहले कुछ गांवों में इस त्योहार को मनाने के लिए पौराणिक कथा भी सुनाई जाती है। इस बाबत एक बहन ने बताया कि पूजा के दौरान पौराणिक कथा भी सुनाई गई है जो इस प्रकार है, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था,यमराज तथा यमुना आपस में भाई बहन थे,यमुना और यमराज से बड़ा ही स्नेह करती थी। वह यमराज से हमेशा निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करें। पर अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे,फिर कार्तिक शुक्ल का दिन आया,यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया। यमराज ने सोचा ''मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं,मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता,बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है,उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया, यमुना के सत्कार से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा। बहन यमुना ने कहा कि इसी तरह प्रतिवर्ष मेरे घर आया करो,यमराज ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो आज के दिन बहन भाई का सत्कार करते हैं,उसे यम का भय नहीं रहता है और उसी दिन से भैया दूज पर्व का शुभारंभ हो गया।


