किसानों ने कम रेट मिलने से सैकड़ो बीघा केले की फसल को किया नष्ट
कमलेश जायसवाल
खमरिया-खीरी:धौरहरा क्षेत्र में किसान नकद मूल्य मिलने को लेकर हर वर्ष कड़ी मेहनत कर व मोटी रकम खर्च कर हजारों एकड़ केले की फसल लगाते है। इस बार भी जैसे ही फसल तैयार हुई वैसे ही व्यापारियों की जुगलबंदी ने किसानों के केले को कूड़े से भी सस्ता खरीदना शुरू कर दिया,जिससे किसानों की कमर टूट गई। वही फुटकर मार्केट में केले का भाव आज भी 30 से 40 रुपये दर्जन बना हुआ है,जिससे व्यापारी मालामाल होता जा रहा है। वही किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहाकर मजबूरन फसल को खेत मे ही नष्ट करने को विवश है। बावजूद ज़िम्मेदार किसानों की हो रही दुर्गति को जानकर भी चुप्पी साधे हुए है।
धौरहरा क्षेत्र में किसान नकद मूल्य मिलने की आस में हजारों एकड़ जमीन पर केले की फसल लगाए हुए है। पिछले वर्ष 2200 रुपये कुंतल से शुरुआत हो अंत मे 1500 रुपये कुंतल तक केले की बिक्री होने से गदगद किसानों ने इस वर्ष केला लगाने का दायरा बढा दिया था,पर उन्हें यह नही मालूम था कि इस बार केले के भाव व्यापारियों की जुगलबंदी की वजह से धड़ाम होकर 200 से 500 रुपये कुंतल हो जाएंगे। अचानक गिरे भाव से अब किसानों की लागत भी नही निकल रही है,जिसको लेकर दुखी किसान खेतों में लहलहा रही फसल को नष्ट करने में जुट गये है, धौरहरा, ईसानगर, खमरिया क्षेत्र में बहुत से किसानों ने अपनी खून पसीने से कई एकड़ लगाई गई फसल को नष्ट कर दिया है। वही अन्य किसान भी सही मूल्य आने व जाने को लेकर असमंजस में पड़े हुए है।
व्यापारी हो रहा मालामाल,किसान की नही निकल रही लागत
केला किसानों के खेतों में तैयार फसल व्यापारी औने पौने दामों पर खरीद रहे है,पर बाजार में उनके द्वारा पकाकर बेचा जा रहा केला आज भी 30 रुपये दर्जन से लेकर 50 रुपये दर्जन तक बिक रहा है। इससे यह आसानी से जाना जा सकता है कि भले ही किसान के खेतो से 200 रुपये कुंतल से लेकर 500 रुपये कुंतल तक व्यापारी केला खरीद कर किसानों पर एहसान कर रहे हो पर उनके द्वारा केला स्टोर करके पकाने के बाद मार्केट में आज भी वह 30 रुपये से लेकर 50 रुपये दर्जन की बिक्री कर बड़ा मुनाफा कमा रहे है। वही इस बाबत किसानों ने बताया कि इस बार शुरुआती दौर में व्यापारियों ने हमारे क्षेत्र में कदम नही रखा,जिसको देख किसानों की तैयार फसलें खराब होने की ओर बढ़ गई। जिसका फायदा व्यापारियों ने उठाकर औने पौने दामों में केला खरीदना शुरू कर दिया,जिसके बाद वह रेट कम ही करते चले गये,जिसकी वजह से फसल तैयार करने में लगी लागत भी नही निकल रही है,वही सबकुछ जानने के बाद भी जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए है।

