सुनील गिरि
हापुड़ : गढ़मुक्तेश्वर के मशहूर ब्रजघाट गंगा घाट पर एक ऐसा मामला सामने आया, जिसे देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। चा युवक एक प्लास्टिक के पुतले को इंसान का शव बताकर उसका अंतिम संस्कार करने पहुंचे थे ताकि एक नकली मौत दिखाकर मृतक के नाम से 50 लाख के बीमा की भारी रकम हासिल की जा सके। लेकिन नगर पालिका कर्मचारी की सतर्कता ने इस बड़े घोटाले को मौके पर ही पकड़ लिया।
आखिर कैसे पकड़ी गई साजिश
घटना के गवाह विशाल कुमार के मुताबिक, चार युवक हरियाणा नंबर की आई20 कार में घाट पर पहुंचे। उन्होंने जल्दी-जल्दी लकड़ियां सजाईं और बिना किसी धार्मिक प्रक्रिया के अंतिम संस्कार शुरू कर दिया। जब एक नगरपालिका कर्मचारी ने मृतक की प्रविष्टि दर्ज करने के लिए मृतक का आधार व डिटेल मांगे तो कोई संतोष जनक जवाब नही दे पाए जिसके बाद नगर पालिका कर्मचारी ने आगे बढ़कर कफन हटाया तो सबके होश उड़ गए—कफन में इंसान की जगह प्लास्टिक का पुतला पड़ा था। मामले का खुलासा होते ही भीड़ जुट गई। दो युवक मौके पर पकड़े गए, जबकि दो युवक मौके से भाग निकले। लोगों ने तुरंत इसकी पुलिस को सूचना दी।
पुलिस पूछताछ मे सामने आई बीमा रकम हड़पने की योजना
नगरपालिका और स्थानीय लोगों को अंदेशा था कि यह कोई धोखाधड़ी या बड़ी साजिश है या किसी जिंदा व्यक्ति को मृत दिखाकर बीमा पैसा लेने की कोशिश, या किसी अपराधी को कागजों में मृत दिखाकर बचाने की कोशिश। पुलिस जब पकड़े गए युवकों से सख्ती से पूछताछ करने लगी तो शुरू में उन्होंने कहा कि “अस्पताल ने गलती से नकली शव दे दिया।” लेकिन बाद में उनकी कहानी बदलने लगी और आखिर मे सच सामने आ ही गया।
इस मामले का आखिर मास्टरमाइंड कौन है?
गढ़मुक्तेश्वर् डीएसपी स्तुति सिंह के अनुसार, इस पूरे खेल का मुख्य आरोपी दिल्ली के कैलाशपुरी का कमल सोमानी है। उसके साथ उसका साथी आशीष खुराना भी था। कमल सोमानी पर 50 लाख रुपये का कर्ज था इस कर्ज से छुटकारा पाने के लिए उसने बड़ी चाल चली। कमल ने अपनी दुकान में काम कर चुके अंशुल कुमार के आधार और पैन कार्ड किसी बहाने से ले लिए। उन्हीं दस्तावेजों के आधार पर उसने अंशुल के नाम 50 लाख रुपए का बीमा करवा लिया। एक साल तक वह किस्तें भी भरता रहा, ताकि किसी को शक ना हो। योजना यह थी कि कागजों में अंशुल की नकली मौत दिखाकर बीमा कंपनी से 50 लाख रुपए ले लिए जाएं और अपने कर्ज को चुकता कर दिया जाए। जिसके बाद पुतले से 'शव' तैयार कर गंगा घाट ले आए कमल ने असली शव की जगह प्लास्टिक का पुतला तैयार कराया और उसे कफन में लपेटकर ब्रजघाट लाया। जहां दाह-संस्कार करवाकर वह मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करना चाहता था, जो बीमा क्लेम के लिए जरूरी होता है। लेकिन नगर पालिका कर्मचारी की समझदारी ने उसकी योजना फेल कर दी जिसके बाद जब पुलिस ने अंशुल कुमार से संपर्क किया तो वह प्रयागराज में अपने घर पर बिल्कुल स्वस्थ मिला। अंशुल ने बताया कि उसे बीमा के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। इससे साफ हो गया कि यह पूरी तरह से बीमा धोखाधड़ी का मामला था।
शक ने खोली पोल
शमशान घाट पर एंट्री करने वाले कर्मचारी नितन ने बताया कि युवक दुकान से घी, लकड़ी आदि खरीदकर आए, वे बहुत जल्दी-जल्दी दाह संस्कार करने लगे, शक होने पर उसने पुतला देखा और तुरंत पुलिस बुला ली। पुलिस की तलाशी में कार से दो और प्लास्टिक के पुतले मिलने की जानकारी भी सामने आई, जिससे यह अंदेशा बढ़ गया कि यह एक बड़ा रैकेट हो सकता है।
आरोपियों का क्या था असली मकसद
प्रत्यक्षदर्शी विशाल कुमार का कहना है कि ये लोग नकली मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर बीमा की 50 लाख रुपए की राशि हड़पना चाहते थे।
पुलिस ने क्या की कार्रवाई
कमल सोमानी और उसके साथी पर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और साजिश की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर फरार दो अन्य युवकों की तलाश की जा रही है पुलिस पूछताछ में और भी खुलासे होने की उम्मीद डीएसपी स्तुति सिंह ने कहा है कि यह मामला किसी बड़े वित्तीय गिरोह की ओर संकेत करता है आगे की जांच जारी है जो भी अन्य तथ्य सामने आयेगे उसके अनुसार भी कार्यवाही की जायेगी।



